
साहित्य और संस्कृति के माध्यम से बेहतर समाज निर्माण की आकांक्षा लेकर पक्षधर पत्रिका का प्रकाशन हो रहा है । पक्षधर पत्रिका का एक इतिहास है । सन् 1975 के मई महीने में इसका पहला अंक हिन्दी के प्रसिद्द कथाकार श्री दूधनाथ सिंह के सम्पादन में इलाहाबाद से प्रकाशित हुआ । पर दुर्भाग्य से देश में तुरंत आपातकाल लागू हो जाने के कारण यह पत्रिका बंद हो गयी । लगभग 30-32 सालों के एक लम्बे वक्फ़े के बाद सन् 2007 से पक्षधर का प्रकाशन नए सिरे से हो रहा है । हिंदी और हिंदीतर दोनों ही क्षेत्रों में अपनी सामग्री और वैविध्य के चलते इसके सभी अंक काफी चर्चित और प्रशंसित हुए हैं । पत्रिका हिन्दी के बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों और अकादमिक संस्थानों व पुस्तकालयों में छात्रों द्वारा तो व्यापक रूप से पढ़ी ही जाती है, इससे इतर सामान्य पाठकों के बीच भी यह काफी पसंद की जाती है । हिन्दी जनक्षेत्र के विवेकीकरण में पक्षधर की भूमिका उल्लेखनीय है । साहित्य और संस्कृति से सरोकार रखने वाले और रचनात्मक कार्यों और व्यवहारों से समाज की बेहतरी के लिए सोचने और काम करने वाले प्रत्येक व्यक्ति तक पक्षधर की पहुँच सुनिश्चित करना हमारा लक्ष्य है ।
